5 वीं और 8 वीं में पुनः बोर्ड परीक्षा शुरू करने की तैयारी – प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाई के गिरते स्तर को देखते हुए और शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रदेश में कक्षा 5 वीं और 8 वीं बोर्ड परीक्षा शुरू करने की फिर से तैयारी चल रही है। लोक शिक्षण संचालनालय ने 5 वीं और 8 वीं परीक्षा पुनः शुरू करने का प्रस्ताव पूर्व में ही माननीय शिक्षा मंत्री को भेज दी गई थी। अब नए शिक्षा मंत्री की मुहर लगते ही परीक्षा का पूरा ड्राप्ट तैयार किया जायेगा। प्राप्त जानकारी अनुसार बोर्ड परीक्षा शिक्षा सत्र 2024 – 25 से शुरू होने की पूरी सम्भावना है।
आरटीई नियम 2009 के तहत फेल – पास सिस्टम समाप्त
शिक्षा का अधिकारी अधिनियम (आरटीई) 2009 में लागू होने के बाद से पहली से 8 वीं तक फेल – पास सिस्टम ख़त्म कर दिया गया है। बिना परीक्षा लिए बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जाता है। प्रारम्भ में तो इस सिस्टम को लेकर पालक खुश थे परन्तु पढ़ाई के स्तर में धीरे – धीरे गिरावट आने से चिंता बढ़ने लगी। चूँकि छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था , इसलिए बच्चे , पालक और कुछ शिक्षक पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं हुए।
9 वीं में फेल्वर छात्रों की संख्या में वृद्धि
कक्षा 8 वीं तक बगैर परीक्षा दिए बच्चे लगातार पास होते चले गए। जिससे उनके पढ़ाई की गुणवत्ता भी प्रभावित होते चली गई। लिहाजा कक्षा 9 वीं में जब परीक्षा होती है तो लिहाजा फेल होने वाले छात्रों की संख्या बहुत बढ़ गई। वहीँ जहाँ तहाँ 9 वीं कक्षा भी पास हो गए और कक्षा 10 वीं में फेल हो जा रहे है।
शिक्षा गुणवत्ता में लगातार गिरावट और पढ़ाई के प्रति बच्चे गंभीर नहीं हो प् रहे लिहाजा शिक्षक , पालक परीक्षा पद्धति को पुनः शरू करने की मांग करा रहे है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि शिक्षक समुदाय शुरू से ही परीक्षा के पक्ष में रहा है। वह अपने तरीके से बिना परीक्षा के पास पद्धति का विरोध करते आए है।
5 वीं के 48 फ़ीसदी बच्चे कक्षा दो का पाठ नहीं पढ़ पाते
पिछले साल जारी असर सर्वे के रिपोर्ट के अनुसार 5 वीं कक्षा के 48 फीसदी बच्चे कक्षा दूसरी के पाठ नहीं पढ़ पाते। इसी तरह कक्षा तीसरी के 32.8 फ़ीसदी बच्चे अक्षर तो पढ़ पाते है , किन्तु शब्द या उससे अधिक नहीं पढ़ पाते। गणित के मामले में भी स्थिति अच्छी नहीं है। कक्षा 5 वीं के 22.8 फ़ीसदी बच्चे ही भाग का सवाल हल कर पाते है। वहीँ कक्षा 6 वीं के 34.8 प्रतिशत बच्चे 11 – 99 तक के संख्या पहचान पाते है। वहीँ कक्षा 8 वीं के 50 फ़ीसदी बच्चे अंग्रेजी के शब्द पढ़ पाते है लेकिन वाक्य नहीं।
शिक्षा का स्तर सुधारने जरुरी कदम
शिक्षाविद जवाहर सुरीशेट्टी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार लागू होने और परीक्षा सिस्टम बंद होने के बाद 14 वर्ष तक बच्चों की पढाई का काफी नुक्सान हुआ है। 8 वीं कक्षा तक परीक्षा नहीं होने से कक्षा 9 वीं के लगभग 33 फीसदी बच्चे फेल हो जा रहे है। नई शिक्षा नीति में राज्यों को 5 वीं , 8 वीं की परीक्षा लेने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए चेक पाइंट बनाये गए है। परीक्षा व्यवस्था से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि परीक्षा किताबी ज्ञान न हो बल्कि बच्चों की समझ और परख पर आधारित हो।
शीघ्र लागू होगी परीक्षा व्यवस्था
प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में कई कदम उठाये जा रहे है। इसी कड़ी में 5 वीं एवं 8 वीं में बोर्ड परीक्षा व्यवस्था शीघ्र लागू की जाएगी। यह व्यवस्था शिक्षा सत्र 2024 – 25 से लागू हो सकती है।
पढ़ाई के प्रति गंभीरता आएगी – प्रधान पाठक
भाठा गांव के प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक दीपक कुमार साहू ने कहा कि शिक्षा गुणवत्ता और पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए परीक्षा जरुरी है। परीक्षा होने पर न केवल बच्चे , पालक , शिक्षक भी गंभीर होंगे। कक्षा 5 वीं और 8 वीं कक्षा में पुनः बोर्ड परीक्षा लेने का फैसला स्वागत योग्य है।
आरटीई नियम 2009 के तहत फेल – पास सिस्टम समाप्त
शिक्षा का अधिकारी अधिनियम (आरटीई) 2009 में लागू होने के बाद से पहली से 8 वीं तक फेल – पास सिस्टम ख़त्म कर दिया गया है। बिना परीक्षा लिए बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जाता है। प्रारम्भ में तो इस सिस्टम को लेकर पालक खुश थे परन्तु पढ़ाई के स्तर में धीरे – धीरे गिरावट आने से चिंता बढ़ने लगी। चूँकि छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था , इसलिए बच्चे , पालक और कुछ शिक्षक पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं हुए।
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